रविवार, 20 मई 2012

जल के बाद अब वायु व ध्वनि प्रदूषण भी सिरदर्द


भदोही: कालीन नगरी के लोग इन दिनों चौतरफा प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। बढ़ता जल प्रदूषण जहां आम जनजीवन के लिए घातक बना हुआ है, वहीं वायु व ध्वनि प्रदूषण से पूरा नगर कराह रहा है।
डांइग प्लांटों के प्रदूषित पानी के भूमि में प्रवाहित होने से कालीन नगरी पहले से ही कराह रही है। प्रदूषित जल के सेवन से तमाम लोग पेट की घातक बीमारियों से जूझ रहे हैं। नगर व आस पास की एक बड़ी आबादी के लिए अल्सर व कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना हुआ है। केंद्रीय भूजल बोर्ड व बीएचयू के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट भले ही कालीन नगरी के भू-गर्भ में सुरक्षित जल को प्रदूषित मानती हो लेकिन प्रदूषण विभाग शुद्धं होने का क्लीन चिट दे चुका है। इसके साथ ही बिजली गुल होने के बाद कालीन कारखानों सहित अन्य प्रतिष्ठानों में लगे जेनरेटरों के तड़तड़ाने से इनसे उठने वाला धुआं वातावरण को प्रदूषित कर देता है। वायु प्रदूषण के मामले में मानकों के विपरीत बनी चिमनियां वातावरण को खराब करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। इन सब झंझावतों से लोग पहले ही जूझ रहे थे कि उसी में बैटरियों की जहरीली गैस कोढ़ में खाज का काम कर रही है। बताया जाता है कि बैटरियों की प्लेट जलाने का काम पहले आगरा व मेरठ जैसे शहरों में होता था। बढ़ते प्रदूषण के चलते वहां इस पर पाबंदी लगा दी गई तो यह खतरनाक कारोबार भदोही जैसे छोटे शहर की ओर बढ़ गया। इन दिनों कारपेट सिटी में बैटरी जलाने की आधा दर्जन फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रही हैं। इनसे निकलने वाली गैस वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है। इस संबंध में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय के रसायन विज्ञान के प्रवक्ता बृजेश सिंह ने बताया कि बैटरियों में तांबे की प्लेटें लगी होती हैं। इनके जलने से लेड आक्साइड का उत्सर्जन होता है। यह धुआं मनुष्य के फेफड़े के लिए बेहद खतरनाक है।

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